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समस्तीपुर जिले में बीएएमएस डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक इलाज का खुला उल्लंघन, तत्काल कार्रवाई की जरूरत

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मोहम्मद आलम

समस्तीपुर जिले में अधिकांश ऐसे क्लिनिकों के पास औपचारिक रजिस्ट्रेशन तो है, पर संचालन नियमों के विपरीत — बीएएमएस डॉक्टरों द्वारा खुलकर एलोपैथिक दवाओं और सर्जिकल प्रैक्टिस का उपयोग किया जा रहा है।समस्तीपुर के कई नर्सिंग होमों/क्लिनिकों में BAMS (आयुर्वेदिक) डॉक्टर्स न केवल आयुर्वेदिक दवा दे रहे हैं बल्कि एलोपैथिक इंजेक्शन, एंटीबायोटिक और सर्जिकल प्रक्रियाओं में भी हाथ आजमा रहे हैं ।यह क्रॉस-प्रैक्टिस कानूनी और मेडिकल मानदंडों के लिहाज से संवेदनशील और खतरनाक है। कई बार जच्चा-बच्चा और माँ की जान तक पर सवाल उठ चुके हैं; अब स्वास्थ्य विभाग को सख्त जांच और कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

रिपोर्ट — क्या हो रहा है और क्यों खतरनाक है

1. समस्या का स्वरूप: समस्तीपुर के दर्जनों रजिस्ट्रेशन प्राप्त नर्सिंग होम दायर कागज़ों में तो वैध हैं, पर संचालन वास्तविकता से मेल नहीं खाते। क्लिनिकों में कई बार ऐसे व्यक्ति (BAMS पास आउट) ऑपरेशन थिएटर में सर्जिकल प्रक्रियाएं करवा रहे या एलोपैथिक दवाएं दे रहे हैं ।जिनके लिए वे औपचारिक रूप से प्रशिक्षित/अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
2. कानूनी-नैदानिक जोखिम: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जो चिकित्सक अपनी मान्यताप्राप्त प्रणाली के अलावा दूसरी प्रणाली (जैसे होमियोपैथ/आयुर्वेद द्वारा एलोपैथिक इलाज) बिना वैधानिक अनुमति के करता है, वह नैग्लिजेंस/कानूनी दायित्व के दायरे में आ सकता है — जैसा कि Poonam Verma v. Ashwin Patel (1996) में देखा गया। 
3. राज्य-स्तरीय भिन्नता, पर साफ अनुमति नहीं: कुछ राज्यों ने आपात/सीमित परिस्थितियों में या विशेष प्रशिक्षण के बाद AYUSH डॉक्टर्स को सीमित रूप से आधुनिक दवाएं देने की छूट दी है; पर यह छूट हर जगह समान नहीं और अक्सर शर्तों के साथ जुड़ी होती है। केन्द्र/राज्य नियमों और स्थानीय अधिसूचनाओं की उपेक्षा कर खुला एलोपैथिक अभ्यास बेहद जोखिम भरा है। 
4. नैदानिक असुरक्षा: बिना उपयुक्त प्रशिक्षण के एलोपैथिक इंजेक्शन/एंटीबायोटिक्स/सर्जिकल हस्तक्षेप देने से गलत दवा, गलत खुराक, संक्रमण या ऑपरेशन के दुष्प्रभाव बढ़ते हैं — जो सीधे मरीज की जान को खतरे में डालते हैं। उपभोक्ता शिकायतों और अनुशासनात्मक केसों में यह नैदानिक-नेgligence का आधार बन चुका है। 

कानूनी संदर्भ (मुख्य बिंदु)

सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेंट ने यह रेखांकित किया कि बिना योग्य योग्यता/पंजीकरण किसी दूसरी चिकित्सा प्रणाली में इलाज देना लॉ की नजर में NEGLIGENCE बन सकता है। (Poonam Verma वगेरे)। 

केन्द्र/राज्य स्तर पर कुछ सीमित छूटें और प्रशिक्षण-आधारित प्रावधान समय-समय पर बने/मौत हुए हैं; इसलिए किसी क्लिनिक के ‘रजिस्ट्रेशन’ का मौजूद होना यह प्रमाण नहीं कि वह हर तरह की दवा/प्रकिया करने के योग्य है। 

सख्त भाषा — क्या कार्रवाई होनी चाहिए (रिपोर्ट का निचोड़)

यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग, जिलाधिकारी और पुलिस के ध्यानार्थ है ।निम्न तात्कालिक कदम जरूरी हैं:
1. फील्ड रेड/चेक-ऑपरेशन: जिले भर में संदिग्ध नर्सिंग होम/क्लिनिकों पर संयुक्त टीम (स्वास्थ्य विभाग + AYUSH/Medical Council निरीक्षक + पुलिस) द्वारा तलाशी और ऑडिट। (ऑपरेशन थिएटर की उपस्थिति, सर्जिकल रजिस्टर, डिग्री/पंजीकरण की फिजिकल जांच, मरीज रिकॉर्ड)।
2. तुरंत निलंबन/सस्पेंशन: जहाँ प्रमाण मिले कि BAMS डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक सर्जरी/ड्रग्स का खुलेआम उपयोग हो रहा है, वहां क्लिनिक का तत्काल़ संचालन बंद कर founder/प्रबंधक पर वैधानिक कार्रवाई।
3. फौरी FIR/कानूनी नोटिस: संभावना पाई जाने पर ‘अनधिकृत चिकित्सा अभ्यास’ और ‘लापरवाही से मृत्यु/हानि’ के मद्दों पर प्राथमिकी दर्ज कराएं; सुप्रीम-कॉर्ट के प्रेसीडेंट के हवाले से दंडनीय कार्रवाई का मार्ग खुला है। 
4. ड्रग/फार्मेसी ऑडिट: क्लिनिकों में उपलब्ध दवाओं (एलोपैथिक दवाओं की सूची, स्टॉक, बिलिंग) की जाँच व आपत स्थिति में ड्रग कंट्रोल/फूड एंड ड्रग प्रशासन को सूचित करें।
5. मरीजों की सुरक्षा और शिकायत निवारण: प्रभावित परिवारों को तत्काल चिकित्सा जांच/काउंसलिंग, और उपभोक्ता फोरम/कंज्यूमर कोर्ट में दावे दायर करने का मार्ग सुझाया जाए।
6. सख्त संदेश: जिला स्वास्थ्य विभाग स्पष्ट सार्वजनिक नोटिस जारी करे कि बिना अनुमति / नियमों के एलोपैथिक दवाओं का प्रियोग गैरकानूनी है और प्राथमिकतापूर्वक कार्रवाई की जाएगी। 

चेतावनी — मरीजों और स्थानीय जनता के लिए

यदि किसी क्लिनिक में डॉक्टर अपनी डिग्री/रजिस्ट्रेशन को लेकर अस्पष्टता रखता है, या ओपन-लीस्टिंग में MBBS/OB-GYN नाम तो है पर व्यवहार में अलग है — तत्काल लिखित रिकॉर्ड और आइ-कार्ड माँगे; शक होने पर नर्सिंग होम को चुनने से पहले जिला स्वास्थ्य कार्यालय में पूछताछ करें।किसी भी आपात स्थिति में ऐसा न करें कि सस्ता विकल्प आपकी/आपके प्रिय का जीवन जोखिम में डाल दे — संदिग्ध स्थिति में भरोसेमंद सरकारी/प्राधिकृत संस्थान या पब्लिक हॉस्पिटल को प्राथमिकता दें।

निष्कर्ष (कड़वी सच्चाई)

समस्तीपुर में रजिस्ट्रेशन के कागज़ ठीक दिखने से व्यवस्था सुरक्षित नहीं बन जाती। जब BAMS जैसे आयुर्वेदिक प्रमाणपत्र प्राप्त चिकित्सक एलोपैथिक सर्जरी/दवाओं का उपयोग कर रहे हों — तो यह न सिर्फ़ मेडिकल एथिक्स का उल्लंघन है बल्कि कानूनी रूप से भी जोखिमभरा है।सुप्रीम-कोर्ट के प्रेसीडेंट और हालिया राज्य-नीतियों की पृष्ठभूमि में स्वास्थ्य विभाग का सख्त और त्वरित हस्तक्षेप अनिवार्य है।

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